Editors Choice Featured लाइफस्टाइल

जानिए कैसे आपको मिलावटी सामान बेचकर ठग रहे हैं सुपरमार्केट वाले

जानिए कैसे आपको मिलावटी सामान बेचकर ठग रहे हैं सुपरमार्केट वाले March 13, 2019Leave a comment

आज 35% से भी अधिक आबादी सुपरमार्केट से ही सामान खरीदती है. चावल, दाल से लेकर सब्जियों तक आज हर चीज़ के लिए हम मॉल की मार्किट पर विश्वास करते हैं. इसके पीछे हमारी धारणा होती है विश्वास की. हमें लगता है की हम अच्छी जगह से, महंगी चीज़ ख़रीद रहे हैं तो इसकी क्वालिटी पर भी भरोसा कर सकते हैं. परन्तु क्या ऐसा वास्तविकता में है? क्या पैक्ड फ़ूड और बारकोड के पीछे हमें वाकई सही सामग्री मिल रही है या सिर्फ़ हम उस मॉल के मेंटेनेंस और ऐसी के खर्चे के नाम पर ठगे जा रहे हैं?

मिलावट के इस दौर में जहाँ प्लास्टिक अंडे और सब्जियों की भरमार है, आप कैसे पाता लगायें की आपका सामान असली है या नकली. आप कैसे जानें की जिस चावल को आप बासमती समझ कर मॉल से दोगुने दाम में खरीद रहे हैं वो वाकई बासमती है या नहीं. इन्हीं सवालों का जवाब है DNA बार कोडिंग. एक साधारण बार कोड प्राइस को स्कैन कर बिल बनाता है परन्तु DNA बार कोड सामान (जैसे की बासमती चावल) के DNA को स्कैन करेगा.

डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाडा यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च हुई जिसमें शहर के सभी बड़े सुपरमार्केट से सैंपल कलेक्ट करे. इन सभी सैंपल्स को ओरिजिनल प्रोडक्ट्स के DNA से मैच किया गया, जहाँ इन सुपेर्मर्केट्स के दावे झूठे साबित हुए.

एक जानेमाने रिसर्चेर के अनुसार, साल 2008 तक सिर्फ़ 1.7 मिलियन DNAs कलेक्ट किये गए हैं. अभी 10 मिलियन से भी ज्यादा जीव जन्तुओं के DNA कलेक्ट होने बाकी हैं. यह तकनीक ना सिर्फ़ किसी सामग्री की ओरिजिनालिटी का पता लगाने में मदद करेगी बल्कि जो जीव विलुप्त होते जा रहे हैं उनके लिए भी मददगार साबित होगी. हालांकि इस तकनीक का सबसे ज्यादा फायदा होगा आम जनता को. आप इस तकनीक के ज़रिये यह पता लगा पायेंगे की आपने जो सामान खरीदा है वो असली है या नहीं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *