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सिर्फ भाषा ही नहीं, भारतीयों की पहचान है हिंदी!

सिर्फ भाषा ही नहीं, भारतीयों की पहचान है हिंदी! September 14, 2019Leave a comment

भारत में “हिंदी” सिर्फ भाषा ही नहीं है, बल्कि भारतीयों की पहचान है। कई मायने में हिंदी भारत के अधिकांश जनमानस की रोजी-रोटी भी है, इसलिए लोग इसे अपनी “मातृ” भाषा भी बोलते हैं। हिंदी के महत्व को जानने के लिए आपको एक कहानी का अंश जानना बेहद ज़रूरी है. भाषा के महत्व के सम्बन्ध में अकबर और बीरबल की एक कहानी बड़ी प्रसिद्ध है। एक बहुत ज्ञानी व्यक्ति अकबर के दरबार में पहुंचा और उसने कहा कि मुझे सभी भाषाओँ का ज्ञान है, आप बताएं कि मेरी मातृ भाषा क्या है? अकबर ने यह काम अपने मंत्री और सलाहकार बीरबल को सौंपा। बीरबल ने तमाम प्रयोगों के बाद पाया कि उस ज्ञानी व्यक्ति को सभी भाषाएँ बेहद अच्छे से आती थीं। फिर बीरबल ने एक नई तरकीब की और जब वह ज्ञानी व्यक्ति गहरी नींद में सो रहा था, तब उनके सिर पर ठंडा पानी डाल दिया. ठंडा पानी गिरते ही वह व्यक्ति जिस भाषा में चिल्लाये, उन्होंने जिस भाषा में गुस्सा ज़ाहिर किया, वही उनकी मातृ भाषा थी।मतलब ये कि व्यावसायिक रूप से आप जिस भी भाषा का प्रयोग करें, हो सकता है कि आप उस भाषा में पारंगत भी हों, लेकिन भावनाओं की अभिव्यक्ति आप सिर्फ अपनी मातृ भाषा में ही कर सकते हैं और भारतीयों के लिए हिंदी का यही दर्जा है।

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महात्मा गांधी जी ने देश भ्रमण के दौरान पाया कि हिंदी जनमानस की भाषा है। उन्होंने कई सम्मेलनों में भी इसका उल्लेख किया। हिंदी के प्रचारप्रसार के दौरान गाँधी जी के अथक प्रयासों के बाद 14 सितम्बर 1949 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला। इसके तहत सरकारी कार्य करने की भाषा हिंदी ही है। उस समय कई हिंदी गैर- भाषिक राज्यों ने इसका विरोध भी किया, इसलिए आजतक हिंदी राष्ट्र भाषा नहीं बन पाई। राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के आव्हान पर भारत में 14 सितम्बर 1949 से हिंदी दिन मनाया जा रहा है। फिर भी विडंबना है कि हम अपनी हिंदी भाषा को सयुंक्त राष्ट्र कि भाषा का दर्जा अब तक नहीं दिलवा पाए हैं।

  2011 के भाषा सेन्सस में 121 भाषाओँ में से सिर्फ हिंदी इकलौती भाषा साबित हुई जिसने 6 % की प्रगति दिखाई थी। हिंदी एक गौरवशाली भाषा है। तक़रीबन 180 मिलियन भारतियों की मात्रा भाषा और 300 मिलियन भारतीयों की दूसरी भाषा होने के साथ साथ हिंदी विश्व की चौथी सबसे ज़्यादा बोले जाने वाली भाषा है। 

महत्मा गाँधी ने हिंदी भाषा का ब्रिटिश एरा में प्रयोग कर के सभी भारतीयों को हिंदी भाषा से एकत्रित करने का प्रयास किया था। इस कारण से हिंदी को “एकता की भाषा” भी कहा जाता है।

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बहुत से बदलाव, परिवर्तन के बाद हिंदी भाषा का आज यह रूप बना है। जिस हिंदी का प्रयोग सदियों पहले होता था और जिस हिंदी का प्रयोग आज होता है, उसमें ज़मीन आसमान का फ़र्क़ है।

हिंदी इंडो-आर्यन भाषा के समूह का हिस्सा है। वैदिक संस्कृत सबसे प्राचीन भाषा मानी जाती है जो 1500 बीसी से ले कर 800 बीसी तक अस्तित्व में थी।इस संस्कृत भाषा का प्रयोग हिन्दू धर्म के वेद, शास्त्र, उपनिषद में हुआ है। कुछ समय के बाद वैदिक भाषा क्लासिक संस्कृत में परिवर्तित हुई। यह भाषा का प्रयोग सिर्फ ऊँची जात के लोग , जैसे कि ब्राह्मण ही कर सकता था। क्लासिकल संस्कृत 800 बीसी – 500 बीसी में उभरी थी और इसी दौरान प्राकृत और पाली का जन्म हुआ जिसका प्रयोग आम जनता करती थी।पाली भाषा बुद्ध धर्म के धार्मिक साहित्य में पाई जाती है।

प्राकृत और पाली भाषा पनपने लगी और 500 ऐ डी में अपभ्रंश भाषा का जन्म हुआ। अपभ्रंश भाषा के बहुत संशोधन के बाद खड़ी बोली का असतित्व आया। खड़ी बोली हिंदी भाषा का स्त्रोत है और धीरे धीरे हिंदी भाषा गोचर होने लगी।

आइए हिंदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं:

– हिंदी उन सात भाषाओं में से एक है जिसका प्रयोग वेब अड्रेस बनाने में किया जा सकता है।

– 2016 में डिजिटल मीडिया में हिन्दी खबरें पढ़ने वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 14.4 करोड़ हो चुकी है।

– ‘स्वदेशी’ शब्द ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में सम्मिलित किया जा चुका है।

– हिंदी विश्व की 176 युनिवर्सिटीज़ में पढ़ाई जाती है जिनमें से 45 अमेरिका में उपस्थित हैं।

– जॉर्ज बुश ने अपने कार्यकाल के दौरान हिंदी भाषा के लिए 114 मिलियन डॉलर का बजट पास किया था।

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हिंदी का प्रभाव मुख्य रूप से उत्तर भारत में देखा जा सकता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,हरयाणा, राजस्थान, उत्तराखंड और दिल्ली में बोली जाती है।

हिंदी एक बहुत ही समृद्ध भाषा है, बावजूद लोग हिंदी बोलने में कतराते हैं। अन्य भाषाओं को लोग आज भी एक ऊँचा दर्जा देते हैं। लोगों के मन में हिंदी को ले कर वह सम्मान नहीं है जो सदियों पहले कभी था। भरी सभा में हिंदी बोलने का मतलब है कि आप ज्ञानहीन हैं। यदि भारत में हिंदी को ले कर इस तरह की धारणा है, हमें यह बिलकुल उम्मीद नहीं करना चाहिए कि बाहरी देश कभी हमारी भाषा को अपनाएगा।

हिंदी हमारी भाषा है और भाषा से माँ की तरह प्रेम होना चाहिए। हिंदी अपनाइये, यह हमारा गर्व है, भारत का सम्मान है।  

 

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