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ये है दुनिया का इकलौता गाँव जहाँ आज भी बोली जाती है संस्कृत!

ये है दुनिया का इकलौता गाँव जहाँ आज भी बोली जाती है संस्कृत! August 17, 2019Leave a comment

भवतः नाम किम्? कथम् अस्ति? यह शायद हमें सुन कर असामान्य लग रहा होगा, पर कर्नाटक में स्थित मत्तूर नाम के इस छोटे से गॉंव में संस्कृत आज भी जीवित है और यहाँ रहने वाले लोगों की रोज़मर्रा भाषा है।

संस्कृत को देववाणी भी कहते हैं। और इसका अर्थ यहाँ पर रहने वाले लोग ही सबसे बेहतर समझते हैं। 1981 तक इस गाँव में राज्य की कन्नड़ भाषा ही बोली जाती थी। यह सफर साल 1981 में शुरू हुआ था जब संस्कृत भारती ने 10 दिन की संस्कृत वर्कशॉप का प्रबंध किया गया था । सिर्फ 10 दिनों तक रोज़ दो घंटे की प्रैक्टिस से पूरा गाँव संस्कृत में बातचीत करने लगा। बहुत लोगों ने उस वर्कशॉप में भाग लिया था । यह एक ऐसा एक्सपेरिमेंट था जिसके कारण मत्तूर गाँव को प्रसिद्धि मिली। इस एक्सपेरिमेंट के बाद यहाँ रहने वाले लोगों के मन में संस्कृत के लिए एक अलग जगह बनी और उन्होंने यह फैसला लिया कि संस्कृत मत्तूर गॉंव की पहली भाषा होगी।


मत्तूर गॉंव के बारे में:

– मत्तूर एक कृषि प्रधान गॉंव है। मत्तूर की भूमि पर धान और सुपारी की खेती विशेष रूप से होती है।
– संकेथी ब्राह्मण एक छोटा सा ब्राह्मण समुदाय है जो 600 वर्ष पहले दक्षिणी केरल से आकर यहाँ बस गया था।
– भारत में तक़रीबन 35,000 संकेथी ब्राह्मण हैं, जो कन्नड़, तमिल, मलयालम और तेलुगु से मिश्रित संकेथी भाषा बोलते हैं जिसकी कोई लिपि मौजूद नहीं है।
– गाँव के लोग इतने पढ़े लिखे हैं की हर घर में आपको एक इंजीनियर तो मिल ही जाएगा!
– मत्तूर गॉंव चौकोर आकार में बनाया गया है जहाँ बीच में एक मंदिर और एक ग्रामीण पाठशाला मौजूद है। पाठशालाओं में वेद के मन्त्रों का जाप होता है। पाठशाला के छात्र इन मन्त्रों को पांच साल के कोर्स में सीखते हैं।

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संस्कृत, रोज़मर्रे की भाषा

मत्तूर में सब्ज़ी बेचने वाले से ले कर गॉंव के पंडित को संस्कृत बोलनी और पढ़नी आती है। वेद के मन्त्रों का जाप करना हमारे लिए कुछ अनोखा होगा, लेकिन वहां यह एक रोज़मर्रे कि ज़िन्दगी है। छोटे-छोटे बच्चे क्रिकेट खेल रहे हों या पाठशाला में हों, आपके कानों में संस्कृत भाषा ही आएगी!
एक्सपर्ट्स का कहना है कि संस्कृत सीखने से गणित और लॉजिक का ज्ञान बढ़ता है। जिसकी वजह से दोनों विषय आसानी से समझे जा सकते हैं। शायद यही वजह है कि इस गाँव के बच्चों की रुचि आईटी इंजीनियर की ओर बढ़ी। मंत्रों के जाप और वेदों के ज्ञान से याद करने कि क्षमता बढ़ती है जिससे ध्यान लगाना आसान होता है।

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टेक्नोलॉजी में यह गाँव किसी भी मामले में पीछे नहीं है. गणित और आयुर्वेद में संस्कृत का बड़ा योगदान है. वैदिक गणित का ज्ञान हो, तो कैलकुलेटर की ज़रूरत नहीं पड़ती. यह कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के लिए एक उपयुक्त भाषा है. संस्कृत सीखने का ख़ास फ़ायदा यह है कि इससे न केवल आपको भारतीय भाषाओं को बल्कि जर्मन और फ़्रेंच जैसी भाषाओं को भी सीखने में मदद मिलती है!

मत्तूर में रहने वाले लोग मानते हैं कि जिस तरह यूरोप की भाषाएँ यूरोप में बोली जाती हैं उसी तरह हमें संस्कृत बोलने की ज़रूरत है!

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