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84,000 करोड़ रुपए के हीरे की खोज हुई थी भारत में!

84,000 करोड़ रुपए के हीरे की खोज हुई थी भारत में! September 25, 2019Leave a comment

छोटे से छोटे हीरे की कीमत चालीस हज़ार से लेकर चार लाख तक हो सकती है। तो क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि 793 कैरट वेट के  कोहिनूर हीरे की कीमत कितनी होगी? विश्व का इकलौता कोहिनूर हीरा, जो आज भी अंग्रेज़ों के कब्ज़े में है, तक़रीबन 84,000 करोड़ रुपए का है! आपको जान कर आश्चर्य होगा कि इसकी खोज भारत में हुई थी। जी हाँ,चौथी शताब्दी में हीरा पहली बार मिला था।

सिर्फ यही नहीं, भारत के विश्व में और भी महत्वपूर्ण योगदान रहे हैं। तो आइए, जानते हैं उन तमाम खोजों के बारे में!

1) डायमंड माइनिंग

 हीरा भारत की सबसे पुरानी खोजों में से एक है। माना जाता है कि पहली बार हीरा द्रविड़ियन द्वारा 2500 – 1700 बी सी में पाया गया था। पर कुछ लोगों का मानना है कि हीरा 1000 बी सी में खोजा गया था। 400 – 300 बी सी में कौटिल्य ने ‘अर्थशास्त्र’ में और बुद्ध भट्ट ने ‘रत्नपरीक्षा’ में हीरे का ज़िक्र करते हुए उसकी महत्व को समझाया।

18वी शताब्दी तक भारत इकलौता देश था जहाँ हीरे का खनन होता था।

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2) लूडो, साँप-सीढ़ी

आप में से कितने लोगों को मालुम है कि बचपन के सबसे लोकप्रिय खेल, लूडो, साँप-सीढ़ी भारत में जन्में हैं?

‘मोक्षपट’ नाम का खेल जो आज ‘साँप-सीढ़ी’ के नाम से मशहूर है दरअसल भारत में दूसरी शताब्दी से

खेला जा रहा है। साल 1943 में यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका ने यह खेल “स्नैक्स एंड लैयडर्ज” के नाम से लॉन्च किया जिसके बाद यह खेल मशहूर हुआ।

‘पचीसी’ को आज हम लूडो के नाम से जानते हैं। छठी शताब्दी से चला आ रहा यह खेल मुग़लों का बड़ा ही लोकप्रिय खेल था, ख़ासकर अकबर का!

LUDO / PACHICI Madhubani painting Ludo or by COLOURMEHAPPYY

3) मोतियाबिंद सर्जरी

 तीसरी शताब्दी में ऋषि सुश्रुत ने ‘सुश्रुत संहिता’ में मोतियाबिंद सर्जरी का उल्लेख किया। माना जाता है क्राइस्ट के जन्म के 800 साल पहले से ही भारत में मोतियाबिंद का इलाज शुरू हो चुका था। ऋषि सुश्रुत भारत के सबसे पहले चिकित्सक माने जाते हैं।

when they say india is the country of snake charmers throw this 10 things to their mouth. we have reach to moon and back but still people feel that we have only snake charmers, we have third larges…

4) रुई का प्रोडक्शन

 रूई का इस्तेमाल भारत में चौथी शताब्दी से हो रहा है। बाहर से आए ट्रैवेलर्स ने भी अपनी किताबों में भारत की असीमित संपत्ति और रुई की खेती के बारे में ज़िक्र किया है। ग्रीस के हेरोडोटस की किताब में रुई का “मिरेकल फैब्रिक” के नाम से ज़िक्र किया है। 1500 बी.सी की लिखी हुई  हिन्दू शास्त्रों में भी रुई का उल्लेख है।

भारत से यह अरबी देशों में फैला, जिसके बाद रुई का प्रोडक्शन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने लगा।

5) पृथ्वी की परिक्रमा का समय

 पृथ्वी कितने घंटे में सूरज की परिक्रमा करती है, इस सवाल का जवाब हमें सातवी शताब्दी में ही मिल गया था। भारत के भास्कराचार्य ने एक ऐसे एस्ट्रोनॉमिकल मॉडल की खोज की जिससे इस वक़्त का बिलकुल सही अनुमान लगाया गया था। यूरोप में इस बात का खुलासा बहुत सालों बाद हुआ।

Earth, moon, sun and sky as seen from space

सिर्फ यही नहीं, भारत में चैस, पाई, ज़ीरो, फिबोनाकी सीरीज़ , बटन्स, टॉयलेट जैसी चीज़ों की खोज और तरह तरह के आविष्कार हुए हैं! इस तरह ऐसे बहुत आविष्कार हैं जो भारतियों ने किए क्यूंकि इतिहास पश्चिमी देशों ने लिखा और उन्होंने साज़िश के तहत अपने वैज्ञानिकों को महान दर्शाया।

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