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भारत का एकमात्र नाई जो मुँह से काटता है लोगों के बाल, जानें ऐसी क्या है वजह!

भारत का एकमात्र नाई जो मुँह से काटता है लोगों के बाल, जानें ऐसी क्या है वजह! June 7, 2019Leave a comment

भारत में टैलेंट की कोई कमी नहीं है ये पूरी दुनिया जानती है. इसकी 1.3 बिलियन आबादी के साथ, देश के हर कोने में एक अलग टैलेंट देखने को मिलता है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक नाई रहता है, जो बाल काटने के लिए अपने मुंह का इस्तेमाल करता है. अंसार अहमद नाम का ये शख्स, भारत का एकमात्र नाई  जिसके पास अपने मुँह का उपयोग कर कैंची चलाने का टैलेंट है.


इस तरह करी शुरुआत

यह शख्स बचपन से बाल काटता है. इनके इस यूनिक टैलेंट के पीछे भी एक कहानी है. दरअसल 2011 में एक एक्सीडेंट हुआ जिसकी वजह से इस शख्स का एक हाथ जख्मी हुआ. तब उनके पास पैसा कमाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं था.


शख्स ने कहा, “मैं एक हाथ से काम नहीं कर सकता था, मुझे उस समय बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. ये आर्ट सीखने में मुझे तीन साल लग गए. अब, मैं आसानी से अपने मुंह में कैंची को पकड़कर बाल काट सकता हूं ”. हालांकि, अभी उसके दोनों हाथ ठीक हैं, लेकिन अहमद अपने मुंह को बाल काटने के लिए इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. ऐसी स्किल के लिए उन्हें हर एक ग्राहक के बाल काटने के लिए लगभग 25-30 मिनट लगते है.


सैलून के सामने लगती है लंबी लाइन

अहमद का वाराणसी के जगतगंज इलाके में ‘लिबर्टी हेयर ड्रेसर’ नाम से सैलून है. अगर इस सैलून में जाकर किसीको बाल कटवाना हो, तो सबसे पहले अपॉइंटमेंट बुक करना पड़ता है. उनकी इस यूनिक टैलेंट ने कई लोगों को एक परफेक्ट हेयरस्टाइल दिया है. इसी वजह से उनके सैलून में अक्सर ग्राहकों की लंबी लाइन होती है जो अपनी बारी का इंतजार करते हैं.


सपना वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का

लोगों से मिले फेम और सपोर्ट के कारण, अहमद ने 03 मई, 2016 को अपने सैलून में एक अभियान का आयोजन किया. उन्होंने 25 घंटो तक बालों को काटकर एक रिकॉर्ड बनाने की योजना बनाई. वो भी नॉन-स्टॉप, अपने मुंह में कैंची पकड़े हुए, और बिना कोई शुल्क लगाए. इस कैंप का मुख्य उद्देश्य गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने का था.


अक्षम बच्चों को सक्षम बनाने का सपना

अंसार अहमद, शारीरिक रूप से विकलांग और नेत्रहीनों के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर खोलना चाहते हैं,जहां उन्हें बाल काटने की ट्रेनिंग मिल सके. ऐसे बच्चे आत्म निर्भर बने और अपने पैरों पर खड़े रहें यही इसके पीछे मक्सद है. उन्होंने अपने गांव के कुछ शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों को भी प्रशिक्षित किया है.
हम सभी अंसार अहमद से सबक सीख सकते हैं, की कैसे जीवन में आई बुरी हालातों का सामना कर अपने पैरों पर खड़े रहें !

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