जानते है ऐसी दादी के बारे में जो 101 साल की उम्र में भी रनिंग करती है. यहाँ तक कि उन्होंने मरते दम तक दौड़ते रहने का फैसला भी किया है. हम बात कर रहे है पंजाब के चंडीगढ़’ में रहने वाली दादी की जिनका नाम है मन कौर .उन्हें “धावक मन कौर” और “मिरेकल ऑफ चंडीगढ़’ नाम से भी जाना जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी के कारण उनकी एक हड्डी टेढ़ी हो चुकी है, फिर भी वो दौड़ती हैं .
धावक दादी ने 2017 में न्यूजीलैंड में आयोजित वर्ल्ड मास्टर्स गेम्स में 100 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता. जानकर आप चौंक जाएंगे की 101 साल की मनकौर ने केवल 1 मिनिट 14 सेकंड में यह दूरी तय की. इस स्पर्धा में 25,000 स्पर्धक थे जिनमें से मनकौर अकेली थी जिनकी उम्र 100 साल से ज्यादा थी . गर्व कि बात है की मनकौर ने अपने करियर में एक -दो नहीं बल्कि 17 गोल्ड मेडल जीते है.
जीत के बाद दादी के चहरे पर जो खुशी थी जो विश्व के युवाओं के लिए कुछ कर दिखाने का हौसला बढ़ा देगी. इतना ही नहीं बल्कि दादी ने बताया कि अब उन्हें गोला फेंक और भाला फेंक में भी हिस्सा लेना है.
इंसान को उम्र के 70 साल बाद चलना ,खाना- पीना, उठना- बैठना भी मुश्किल हो जाता है .दूसरी तरफ मनकौर ने अपने करियर की शुरुआत ही उम्र के 93 साल में की . धावक दादी कि सफलता में उनके बेटे का का बड़ा सपोर्ट रहा. बेटे गुरदेव सिंह ने ही माँ को आंतरराष्ट्रीय मास्टर सर्किट से जुड़ने का सुझाव दिया . इस तरह से दादी ने केवल मेडल ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का दिल जित लिया.