भारत का मणिपुर राज्य अपनी प्राकृतिक खूबसूरती की वजह से काफी लोकप्रिय है. यह लोगों को घूमने के लिए हमेशा आकर्षित करता है. मणिपुर की राजधानी इम्फाल से 53 कि.मी. दूर यहाँ पानी की सबसे बड़ी झील है. ‘लोकतक’ नाम से पहचाने जाने वाली इस झील की पूरी दुनिया में एक अलग ही पहचान है. दुनिया में ऐसे और भी फ्लोटिंग गार्डन्स और पार्क हैं लेकिन ‘लोकतक’ एकमात्र फ्लोटिंग पार्क है जो प्राकृतिक रूप से बना हुआ है.
कई सारे टुकड़ों में बटा हुआ आइसलैंड
इस झील में कई सारे गोलाकार जमीन के टुकड़े हैं जिन्हें फुमदी के नामसे जाना जाता है. ये फ्लोटिंग आइलैंड्स है जो सीजन के हिसाब से साइज और शेप में बदलते रहते हैं. फुमदी का सबसे बड़ा भाग इस झील के 40 स्क्वेयर कि.मी. तक फैला हुआ है. इस के बड़े भाग पर दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ नैशनल पार्क है. इसे ‘किबुल लामिआयो नैशनल पार्क’ के नाम से जाना जाता है. इस पार्क में 233 जाती के पौधे ,100 से भी ज्यादा वैरायटी के पक्षियों की प्रजाति देखने को मिलती है. इसीलिए इसे ‘बर्ड पैराडाइज’ भी कहा जाता है .
साथ में करीब 425 प्रकार के जानवर भी पाए जाते हैं जिनमें सांभर, कछुए, पाइथन जैसे नाम शामिल हैं . दुनिया के कुछ दुर्लभ प्रजाति के हिरण भी सिर्फ इसी पार्क में पाए जाते हैं, जिन्हें यहा के लोकल भाषा में ‘संगई’ के नाम से जाना जाता है. सन1966 में इस पार्क को सेंचुरी से जाना जाता था ,और सन 1977 में यह नैशनल पार्क हुआ.
ऐसे जा सकते हैं फ्लोटिंग रेस्टोरेंट्स पर
झील के बीचों -बीच एक तैरता हुआ ‘द सैन्ड्रा टूरिस्ट होम’ नाम का रिसोर्ट है जो काफी फेमस है . साथ में यहाँ कई सारे रेस्टोरेंट्स और कॉफी शॉप भी हैं जहां टूरिस्ट जा सकते हैं. झील में ट्रैवल करने के लिए शिकारा एकमात्र साधन है. जिसके माध्यम से लोग झील के अंदर घूम सकते हैं.
झील ऐसे बना कमाई का साधन
इन फुमदी पर करीब 4000 से भी ज्यादा लोग रहते है, जो छोटे-छोटे आइसलैंड्स पर घर बना कर रह रहे हैं. मछली पकड़ना यंहा के लोगों का प्रमुख काम है. 1 लाख से भी ज़्यादा लोग इस झील पर निर्भर हैं. यह क्षेत्र पूरी तरह पर्यटन के लिए विकसित नहीं हुआ है.
भारतीय सेना और कई विद्रोही समूहों के बीच के झगड़े के कारण यहां का पर्यटन अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है. अगर आप भी जंगल ,जानवर और पक्षियों के बीच घूमना या देखना पसंद करते हैं तो लोकतक झील को देखकर आपको बेहद खुशी मिलेगी.