कनकककुन्नू पैलेस, जो की अब तिरुवंथमपुरम में स्थित है, पहले कभी त्रावणकोर रॉयल फॅमिली का हिस्सा हुआ करता था और आज एक हेरिटेज साइट घोषित है। लाल ईंट से सजी इसको इमारते बेहद ही खूबसूरत हैं। लेकिन यह जगह अपनी बायोडायवर्सिटी के लिए मशहूर है। यहाँ पर बहुत सारे पेड़ और पौधे हैं जो इसकी सुंदरता और बढ़ाते हैं।
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भारत का पहला डिजिटल गार्डन
इस जगह के बारे में सबसे रोचक बात ये है की यहाँ पर भारत का पहला डिजिटल गार्डन स्थापित किया गया है। 21 वर्षीय अखिलेश ने यह विचित्र काम कर दिखाया। वह बॉटनी में पोस्ट-ग्रेजुएट हैं।अपने कॉलेज के थीसिस के दौरान उन्होंने अपने प्रोफेसर, डॉ ए गंगाप्रसाद के साथ मिल कर यह प्रोजेक्ट को पूरा किया। वहां मौजूद सब ही पेड़ और पौधों की सूचनाएं डिजिटल फॉर्मेट में इकठ्ठा करी गयीं। डिजिटल फॉर्मेट की सूचनाओं के कारण वह अब एक डिजिटल गार्डन में तब्दील ही चुका है। 21 एकर बड़ी ज़मीन पर मौजूद सब ही पेड़ और पौधों को अखिलेश ने एक ऍप के माध्यम से जोड़ा।
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पेड़ और पौधों की सूचनाएं QR कोड के ज़रिये
वहां मौजूद सब ही पेड़ और पौधों की सूचनाएं QR कोड के ज़रिये आ जाती है। अब तक अखिलेश ने तकरीबन 183 प्रकार के फूलों को डॉक्यूमेंट कर लिया है। और वो सूचना ट्रीज ऑफ़ राज केरला के वेबसाइट पर अपलोड भी किया। लोगों को बायोडायवर्सिटी के बारे मेंबहुत ही काम ज्ञान है, ख़ास कर, मेडिसिनल प्रॉपर्टीज। अखिलेश ने इसी मकसद से यह प्रोजेक्ट लिया।
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टेक्नोलॉजी का सदुपयोग
अखिलेश का मानना है कि लोगों में पेड़, पौधे और पर्यावरण को ले कर जागरूकता लानी बहुत ज़रूरी है। पेड़ के बगल में रखे बॉर्ड्स पर लोग ज़्यादा ध्यान नहीं देते। क्यूंकि वह लम्बे भी लिखे होते हैं। यहाँ इस प्रोजेक्ट के द्वारा लोगों को सर्फ QR कोड के माध्यम से पेड़ के बारे में साड़ी सूचनाएं प्राप्त हो सकती हैं। यह टेक्नोलॉजी का एक बहुत ही बड़ा सदुपयोग है।