हिन्दू धर्म में मेहमान को भगवान के समान माना गया है, इसलिए कहा जाता है ” अतिथि देवो भवः”
पौराणिक कथाओं में घर आए अतिथियों के भोजन को काफी महत्व दिया गया है. अतिथि के सत्कार को लेकर शिवपुराण में 4 महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं. इनका पालन करने पर इसका फल ज़रूर मिलता है.
साफ मन से करें सत्कार
कई बार देखा गया है कि मेहमान घर आने पर, कुछ लोग मन ही मन बहुत दुःखी होते हैं. बहुत भारी मन से सत्कार करते हैं और बाद में उसे कई बार गिनाते हैं. जबकि कहा जाता है कि मनुष्य का मन शुद्ध न हो तो, शुभ कर्मों का फल भी नहीं मिलता. घर आए अतिथि का सत्कार करते समय या उन्हें भोजन करवाते समय किसी भी गलत भाव को मन में नहीं आने देना चाहिए. अतिथि सत्कार के समय जलन, क्रोध, हिंसा जैसी बातों से बचना चाहिए.
अच्छे से बात करें
घर आए अतिथि का कभी अपमान न करें. ऐसा करने पर मनुष्य पाप का भागी बन जाता है. बेहतर है आप पवित्र मन और मीठी वाणी के साथ मेहमान का स्वागत-सत्कार करें.
हाइजीन का रखें ध्यान
मेहमान को भगवान के समान माना जाता है. अपवित्र शरीर से न भगवान की सेवा की जाती है और न ही मेहमान की। मेहमान नवाज़ी से पहले साफ़ जल से स्नान कर, साफ कपड़े धारण करें. बासी शरीर से की गई सेवा का फल कभी नहीं मिलता.
गिफ्ट ज़रूर दें
घर आए मेहमान को भोजन करवाने के बाद कुछ न कुछ गिफ्ट ज़रूर देना चाहिए. इसका भी विधान है. अच्छी भावनाओं से दिया गया गिफ्ट हमेशा शुभ फल देता है.