पानी में नाव, जहाज़ और इंसानों का तैरना तो आम बात है। पर क्या आपने कभी साइकिल को पानी में चलते हुए देखा है? है ना थोड़ा अटपटा? बिहार के 60 वर्षीय मोहम्मद सैदुल्लाह ने एक एक ऐसी अद्भुत साइकिल का आविष्कार किया जो पानी पर भी चल सकती है। उन्होंने सिर्फ पानी पर चलने वाली साइकिल ही नहीं बल्कि ‘मिनी वॉटर पंप’, , मिनी ट्रेक्टर, स्प्रिंग लोडेड साइकिल की भी खोज की। ताज्जुब की बात तो यह सिर्फ 10 वी पास हैं। उनका मानना हैं कि “एक अविष्कारक का दिमाग हमेशा स्वतंत्र रहता है।”
साल 1975 में बिहार बाढ़ से डूबा हुआ था। काफी बार लोगों के काम रुक जाते थे क्योंकि नाव में और जगह नहीं होती थी। इन रुकावटों के कारण सैदुल्लाह जी ने ऐसी साइकिल की खोज की जिससे ऐसी मुसीबतों का हल निकल आया।
यह एक साधारण साइकिल की तरह ही है। इसमें रेक्टेंगुलर एयर फ्लोट भी मौजूद है जो साइकिल को पानी में तैरने के योग्य बनाता है। यह दो जोड़ी में मौजूद हैं, एक आगे के पहियों में और दूसरा जोड़ा पीछे के पहियों में। यह फ्लोट फोल्ड भी हो सकते हैं जिससे साइकिल ज़मीन पर भी चल सकती है। इन जोड़ों का वज़न ज़्यादा नहीं है जिससे चलाने वाले को कोई तकलीफ भी नहीं होती है।
मोहम्मद सैदुल्लाह ने यह साइकिल सिर्फ तीन दिन के वक़्त में बनाई। इस साइकिल से मोहम्मद सैदुल्लाह ने गंगा तक पार की। इस अद्भुत साइकिल का नाम ‘नूर साइकिल’ है। ‘नूर’ इनकी ग़ुज़री हुई पत्नी का नाम है। सिर्फ यह साइकिल ही नहीं बल्कि इनके सारे आविष्कारों का नाम इनकी पत्नी के नाम से ही जुड़े हैं।
इस खोज से लोगों को कई लाभ हुए और पैसों की भी बहुत बचत हुई।