हिन्दू धर्म के अनुसार चार नवरात्रि होती हैं। दो गुप्त नवरात्री और दो प्रकट नवरात्रि । जिनमें से शारदीय नवरात्रि का सबसे ज़्यादा जश्न मनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह नवरात्रि आश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू हो कर नौ दिन तक चलती है। अंग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार सितम्बर या अक्टूबर महीने में आता है।
नवरात्र के दौरान लोग मानसिक और धार्मिक शक्ति को विकसित करने के लिए कुछ नियमों का पालन करते हैं जैसे की व्रत रखना, फलाहार खाना खाना, पूजा करना आदि। पर इसके पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं।
तो आइए नवरात्रि के विज्ञान और पुराण को जानते हैं
पौराणिक:
नवरात्र के विषय में तरह तरह के पौराणिक कथाएं हैं।
जन्म से पहले भगवान राम ने अपनी माँ कौशल्या के गर्भ में नौ दिन अतिरिक्त रह कर नौ दुर्गा माँ कि स्तुति की और उन शक्तियों का संचय किया जो रावण के संहार के लिए ज़रूरी थीं।
इस तरह इसे बड़ी नवरात्र कहते हैं और इसके नौंवे दिन राम का जन्म अर्थात राम नवमी मनाई जाती है।
रावण को मारने से पहले भगवान राम ने एक गुफा में कड़ी तपस्या कर के उन सारी शक्तियों को पुनर्जागृत किया जिसके प्रभाव और शक्ति से रावण का वध किया. इसे हम शारदीय नवरात्र कहते हैं और रावण के वध को हम दशहरे के रूप में मनाते हैं .कुछ लोगों का मानना है कि देवी दुर्गा ने महिशासुर नाम के राक्षस का वध किया था तो कुछ लोगों का मानना है कि इस दौरान माँ दुर्गा का आगमन होता है।
वैज्ञानिक:
नवरात्रि साल में 2 बार मनाई जाती हैं। एक नवरात्र गर्मियों के मौसम में होती और दूसरी सर्दियों के मौसम में। आयुर्वेद के अनुसार मौसम के बदलाव के दौरान मांस , शराब , प्याज़, लहसुन खाने से शरीर में नकारात्मक ऊर्जा आती है। इस समय हमारा शरीर कमज़ोर होता और बीमार पड़ने कि संभावना भी बढ़ जाती है। सादा खाना खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और ऊर्जा का निर्माण होता है।
सिर्फ यही नहीं, नवरात्र के नियमों का पालन करने से आत्मानुशासन आता है। क्योंकि आप अपनी दिनचर्या के नियमों से हट कर एक नई दिनचर्या को अपनाते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि नवरात्र बुराई के ऊपर सच्चाई की जीत का सन्देश देती है, माँ दुर्गा हर मनुष्य को एक नेक इंसान बनने के लिए प्रोत्साहित करती है।