जिंदगी में हर एक को किसी ना किसी से प्यार ज़रूर होता है. हर कोई जिंदगी में ‘सच्चा प्यार’ पाना चाहता है. ‘टीनेजर्स’ हो या ‘मिडिल एजड’ , हर किसी को अपने जिंदगी में रोमांस चाहिए होता है. फिल्म,मीडिया जैसी चीजों का लोगों पर इतना इन्फ्लुएन्स होता है की उसमे दिखाई चीजों को लोग फॉलो करने लगते हैं. और यही चीजें लोगों को हमेशा किसी के प्यार में रहने के लिए बढ़ावा देते रहते हैं .
क्या किसी की तरफ आकर्षित होने के पीछे कोई साइंस हो सकती है? दरसल, एक सर्वे के अनुसार कहा गया हैं की ज़्यादातर लोग ऐसे लोगों के साथ ‘क्लिक’ होते हैं जिनसे वो अट्रैक्ट होते हैं. और साइंस ये कहता है की शरीर में से निकले केमिकल और क्रोमोजोम में समाई जीन्स की वजह से लोग ऑप्पोजीट सेक्स से अट्रैक्ट होते हैं. जानें प्यार और आकर्षण के कुछ साइंटिफिक फैक्ट्स के बारे में :
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ऐसे होते हैं लोग एक-दूसरे की तरफ अट्रैक्ट
कहते हैं की ऑप्पोजिट्स यानि भिन्न व्यक्तित्व के लोग एक दूसरे से अट्रैक्ट होते हैं . और ये कई मायनों में सही हैं. जब 2 लोगों की सोच, आचार- विचार में अंतर होता है वही लोग एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं. इसे ‘पर्सनॅलिटी ट्रेट्स’ भी कहा जाता है. पर ये भी उतनाही सच है अगर कपल्स के विचार, उनकी सोच या राय में अंतर हो तो यही बातें रिलेशनशिप में ‘ब्रेकिंग पॉइंट’ बन जाती है.
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यह दिल नहीं दिमाग का खेल होता है
कहते हैं कि अगर आपको ऐसे व्यक्ति से बात करनी है, जिससे आप आकर्षित हैं, तब आप बोलते समय हकला सकते हैं, आपकी हथेलियाँ पसीने से तर हो सकती हैं, और आपका दिल ज़ोर से धड़क सकता है. यह प्यार के बारे में कहा हुआ फेमस मिथ है. पर सच मानो तो यह दिल से नहीं, बल्कि दिमाग से आता है. आपका माइंड यानी मस्तिष्क तय करता है कि आपको कौन पसंद है और आपका शरीर इसे किस तरह रिस्पॉन्ड करेगा.
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क्यों होते हैं लोग प्यार में पागल !
हर कपल के लिए ‘हनीमून फेज’ ही एक कॉमन फेज होता है जहाँ वो एक दूसरे का अनुभव लेते है. यही एक वक्त होता है जब लगता है की पंछी गा रहे हैं, आसमान नीला हैं, गुलाबी हवा चल रही हैं. वाकयमें ये ‘ट्रूली मैडली इन लव’ वाली फीलिंग्स रहती हैं जहाँ आप आपके पार्टनर की छोटी सी छोटी नादानी को भी नजर अंदाज कर लेते हैं. दरसल ,यह हार्मोन डोपामाइन के कारण होता है, जब हम जिस से प्यार करते हैं उनके साथ समय बिताते हैं तब यह केमिकल निकलता है और हम काफी अच्छा महसूस करने लगते हैं.
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हर किसी का होता है ‘टाइप’
हर किसी का पार्टनर के लिए एक टाइप होता है, जो की पहले से दिमाग में तय रहता है. हम लोगों का निरिक्षण करते हुए बढ़ते हैं, और उसी वक्त हमारा एक ‘टाइप’ बन जाता हैं की हमें किस तरह का पार्टनर चाहिए. जब हम फिल्में देखते हैं तब उन किरदारों को देखकर माइंड में एक इमेज बना लेते हैं की अपना बेटर हाफ इस तरह का होना चाहिए . पर कई बार किसी से अट्रैक्ट होना या प्यार में पड़ना इन्हीं सब लक्षणों तक सिमित नहीं होता.
लेकिन ज्यादा तर किसी के तरफ अट्रैक्ट होना यह एक पर्सनल चीज है. अंत में, ‘प्यार ‘ के लिए सभी की अपनी-अपनी परिभाषा होती है. ना कि इसका वर्णन करके एक हजार पन्नो से भरी कोई किताब लिखने के लिए होती है. प्यार एक अहम चीज होती है और हर किसी के लिए खास होती है.