भारत में ‘दहेज’ एक ऐसी सदियों पुरानी परंपरा है जो आज तक चली आ रही है. दुल्हन का परिवार शादी में एक शर्त के तौर पर घरेलु सामान ,पैसा ,गहने और कार जैसी संपत्ति दूल्हे के घरवालों को देता है. हालांकि आज के दिन में दहेज़ लेना या देना गैरकानूनी है. फिर भी हमें देश के हर कोने से दहेज़ के लिए हत्या और घरेलु हिंसा के शिकार हुई महिलाओं की खबरें सुनने में आती है.
सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ा
अच्छी शिक्षा यानी एजुकेशन ही इस प्रकार कि मानसिकता का समाधान हो सकता है. पश्चिम बंगाल की एक घटना इस मुद्दे को साबित करने के लिए काफी है. सोनारपुर के एक 30 वर्षीय सूर्यकांत बारिक नाम के स्कूल टीचर ने 14 मई को प्रियंका बेज से शादी की , लेकिन यह और शादिओं से अलग थी. जब बारिक शादी के वेन्यू पर पहुंचे, तो उनका एक अनोखे ढंग से स्वागत किया गया. मेहमानों और दूल्हे के सामने हजारों किताबों का ढेर लगाया हुआ था. दूल्हे वालों को बाद में पता चला कि वह ससुराल वालों कि तरफ से शादी के लिए दिया गया तोहफा था. करीबन एक लाख रुपये की किताबें उपहार में दी गई. क्यों कि दूल्हेने शादी के लिए कोई दहेज लेने से इनकार कर दिया था.
ऐसी शादी जो लोगों कि लिए बनी सबक
बारिक ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा “मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि मैं दहेज़ को स्वीकार नहीं करूँगा. जब मैं शादी के लिए पंहुचा, तो मुझे उपहार के रूप में पुस्तकों का एक बड़ा ढेर देखकर सुखद आश्चर्य हुआ ”. दुल्हन प्रियंका भी पढ़ना पसंद करती हैं उसने भी कहां “मेरे परिवार को पता था कि मैं ऐसी शादी पसंद नहीं करती जिसमें दहेज देने या लेने कि परंपरा हो. इसलिए मैं ऐसा पति पाकर खुश हूं जो मुझे इतना समझता है. यही कारण है कि मेरे परिवार वालों ने हमें ऐसा उपहार दिया “.
दुल्हन के परिवार ने मेहमानों को भी फूलों और किताबों के अलावा कुछ नहीं देने के लिए कहा. इस काम से उन्होंने एक नयी सोच की तरफ कदम बढ़ाया. इन दिनों , जब बहुत कम लोग किताबें पढ़ते हैं, और कई अभी भी दहेज जैसी प्रथा पर विश्वास करते हैं, उन लोगों को इस परिवार ने एक सबक सिखाया है. इस असामान्य उपहार से खुश दूल्हे ने घर पर एक छोटी लाइब्रेरी खोलने की इच्छा व्यक्त की, जो उनके पड़ोसियों और रिश्तेदारों के लिए काम आएगी.