हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि डीजल सबसे सेफ ईधनों में से एक है. अन्य ईधनों के मुकाबले डीजल सबसे कम मात्रा में कार्बन डाइऑक्सइड का उत्सर्जन करता है. इसी वजह से भविष्य में पृथ्वी पर इसकी काफी डिमांड रहेगी ऐसा माना जाता था. लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है की जल्द ही डीजल दुनिया से खत्म होने के कगार पर है.
डीजल कार का प्रोडक्शन होगा बंद
5 साल पहले, लगभग 50% कार डीजल पर चलती थीं .अब ट्रेंड बदल चुका है, डीजल अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है. मार्केट का करंट स्टेटस बताता है की, भारत में खरीदी गई 5 कारों में से केवल 1 ही डीजल कार है. यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि बाहर के देशों की भी स्थिति है.
कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि, अगले 10 सालों में डीजल गाड़ियों की घटती डिमांड के चलते कार कंपनियां अपने डीजल मॉडल्स का प्रोडक्शन बंद कर रही हैं. 2025 तक देश में सभी जगह इलेक्ट्रिक गाड़ियां दिखाई देंगी. ज़्यादातर कार कंपनियों ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ रुख किया है. आने वाले दिनों में सभी डीजल गाड़ियों को डंप किया जाएगा.
डीजल से बढ़ रहा है खतरा
कोई भी सोचेगा कि इतने किफायती ईधन का ऐसा ‘दी एन्ड ‘ क्यों होगा. पर सच तो ये है की इसका पर्यावरण पर बुरा असर हो रहा है. इस ईधन के लगातार उपयोग के साथ, प्रदुषण बढ़ रहा है. और डीजल से निकलता हुआ धुंआ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार डीजल के उत्सर्जन को ‘क्लास 1’ कार्सिनोजेन के कैटेगरी में वर्गीकृत किया जाता है. इस से लंग्स कैंसर होने का खतरा रहता है. यही कारण है कि पेरिस जैसे शहरों ने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसी तर्ज पर, दुनिया भर के कई देशों ने भी इसका अनुकरण किया.
हर जगह दिखेंगे इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन
पर्यावरण की रक्षा , डीजल के भाव में उतार-चढाव और डीजल के रिसोर्सेस की कमी , इन वजह से आने वाले दिनों में डीजल पूरी तरह से लुप्त हो सकता है. भविष्य में पेट्रोल-डीजल पम्प की जगह इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन दिखाई दे सकते हैं.