भारत में कई प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, जिनका इतिहास और महत्व अपने आप में ही अद्भुत है. भारत के हर राज्य में एक विशेष भगवान को समर्पित कोई ना कोई मंदिर अवश्य मौजूद है. ऐसे मंदिर जिनसे अनगिनत लोगों की आस्था और मान्यता जुड़ी होती है. आज हम आपको ऐसे एक विश्वविख्यात मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो भारत के सबसे धनवान मंदिरों में से एक हैं. इस मंदिर में जिस भगवान को पूजा जाता हैं वो सबसे धनि होने के बावजूद कर्ज़ में डूबा हुआ है जिसे पूरा करने के लिए सारे भक्त अपने सिर के बाल दान करते हैं. जी हाँ हम बात कर रहें हैं दक्षिण में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में. जानें इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक बातें.
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित ये मंदिर देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. माना जाता है की भगवान वेंकटेश्वर अपनी पत्नी के साथ तिरुमला में निवास करते हैं. प्रतिदिन ५० हज़ार से 1 लाख श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. जो भक्त यँहा सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, उनकी सभी मुरादें पूरी होती हैं. इच्छा पूरी होने पर भक्त अपनी श्रद्धा के तौर पर मंदिर आकर अपने बाल दान करते हैं.
मूर्ति पर लगे हुए हैं असली बाल –
– कहा जाता है की भगवान वेंकटेश्वर के मूर्ति पर लगे बाल असली हैं, जो काफी मुलायम हैं और कभी उलझते नहीं. माना जाता है की स्वयं भगवान यंहा विराजते हैं.
– मंदिर में मूर्ति हमेशा नम रहती है, अगर मूर्ति के पास कान लगाकर सुना जाए तो समुद्र की लहरों की आवाज़ सुनाई देती है. इसका कारण अब तक पता नहीं चला है.
– भगवान श्री वेंकटेश के दरबार में हमेशा एक दिया जलता रहता है. इसमें ना कोई तेल डालता है ना घी, फिर भी यह दिया सदियों से जल रहा है.
– हर गुरुवार को भगवान की मूर्ति पर चंदन का लेप लगाया जाता है , जब अगले दिन उसे हटाते हैं तो वंहा पर माता लक्ष्मी की छवि बनी हुई दिखती है. यह कैसे होता है इसके बारे में अभी तक कोई सुराग नहीं मिला.
– तिरुपति के मंदिर से 23 किमी दूर एक गांव है, जहाँ बाहर के लोगों के लिए प्रवेश वर्जित है. इस गांव के लोग काफी संयम और नियम के साथ रहते हैं. भगवान पर चढाई जाने वाली चीज़ें जैसे दूध,दही , घी, फूल, फल सब वहीं से आते हैं. उस गांव के नाम से हर कोई अंजान है.
– भगवान वेंकटेश की मूर्ति एक विशेष चिकने पत्थर से बनी है इसीलिए मूर्ति जीवित नज़र आती है, मंदिर को 24 घंटे ठंडा रखा जाता है इसके बावजूद भगवान की मूर्ति पर पसीना इकठ्ठा होता है, और पीठ भी हमेशा नम रहती है.
इस वजह से करते हैं बालो का त्याग –
भगवान वेंकटेश विष्णु के अवतार हैं. राजकुमारी पद्मावती से शादी करने के लिए उन्होंने कुबेर से कर्ज़ा लिया था. इस कर्ज़ को चुकाने की सहायता करने हेतु भक्त यहाँ आकर अपने बाल देते हैं. कहा जाता है बालों को दान करने पर भगवान की कृपा बरसती है और अच्छा फल मिलता है. यह काम करने के लिए मंदिर के अंदर करीब 600 नाई हैं. इसके साथ यहाँ हाईजीन का भी ख्याल रखा जाता है, हर इंसान के लिए अलग ब्लेड का इस्तेमाल होता है.
क्या होता है इन बालों का !
इन बालों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचा जाता है. भारतीय बालों की प्रकृति बेहतरीन होती है इसलिए उनकी बनावट की काफी मांग होती है. बालों की लंबाई के आधार पर कई डॉलर्स में इनकी कीमत चुकाई जाती है. सन 2011-12 में इस मंदिर ने इन बालों से 200 करोड़ का मुनाफा कमाया बल्कि इस मंदिर की कुल संपत्ति है 1,949 करोड़ रुपए. इतनी भारी मात्रा में बालों की उत्पत्ति देख आधिकारियों ने ई-नीलामी का विकल्प चुना और दुनियाभर से संभावित खरीदारों को आमंत्रित किया.
इन बालों को उनके रंग और लंबाई के आधार पर 6 अलग-अलग श्रेणी में विभाजित किया जाता है. लंबे बालों को रेमी हेयर कहा जाता है, यूरोप और अमेरिका में इसका सबसे बड़ा बाजार है. नॉन रेमी या छोटे बालों की चीन में बड़ी मात्रा में मांग है. इन बालों पर प्रोसेस कर इनके विग बनाये जाते हैं फिर इन्हे साउथ अफ्रीका में बेचा जाता है. हर महीने करीब 145 टन बालों की नीलामी कर कम से कम 11 से 12 करोड़ की कमाई होती हैं.
हर दिन 20 हज़ार लोग खाते हैं मुफ्त का खाना
सिर्फ बालों से नहीं बल्कि फण्ड के तौर पर भी करोड़ों रुपए मंदिर को मिलते हैं. इन पैसों का इस्तेमाल कर गरीबों की मदद हो इसलिए कुछ योजनाएं और ट्रस्ट बनाए हैं. मंदिर के नाम पर सूपर मल्टीस्पेशल हॉस्पिटल्स बनाए हैं जहाँ कैंसर जैसी बड़ी सी बड़ी बीमारी का फ्री में इलाज होता है. इसके साथ हर रोज़ तक़रीबन 20 हज़ार भक्तों को फ्री में खाना खिलाया जाता है.
बालों से बढ़ाएं जा सकते हैं पेड़-पौधे
हालहीं में इन बालों को एक खास चीज़ के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक योजना बनाई, जिसके तौर पर इन बालों को बायो-फर्टिलाइज़र बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका कारण की बालों में एमिनो एसिड ज़्यादा मात्रा में होता है और पौधे की वृद्धि में एक प्रमुख भूमिका निभाता है.अमीनो एसिड के उत्पादन के लिए मानवी बाल एक सस्ता तरीका है और इसलिए कंपनियां बड़ी मात्रा में इसकी मांग करती हैं. एक तरह तिरुपति के बाल देश की ‘राष्ट्रीय आय’ के योगदान के लिए प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. अगर ऐसे कचरे का परिवर्तन पैसों में होकर इससे देश का कल्याण हो जाता है, तो यह एक अच्छा विकल्प है. ऐसी योजनाओं से हम देश को और बेहतर और सशक्त बना सकते हैं.