सचिन तेंदुलकर एक महान व्यक्तित्व और प्रेरणा के स्त्रोत हैं।तेंदुलकर विश्व के पहले खिलाड़ी थे जिन्होंने ओडीआई में 2 शतक हासिल किये थे। यही नहीं, उन्होंने 1998 में 9 शतकों का रिकॉर्ड भी बनाया था।सचिन तेंदुलकर अपने आप में ही एक मिसाल हैं।सचिन क्रिकेट के प्रति अपनी निष्ठा और लगन के लिए जाने जाते हैं।
अंडरवियर में टिशूज़
सचिन तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा ‘प्लेयिंग इट माय वे’ एक शर्मसार घटना का वर्णन किया था।उन्होंने120 बॉल्स पर 97 रन्स बना तो लिए थे पर किसी को इस बात का इल्म नहीं था कि पूरे मैच के दौरान उन्होंने अंडरवियर में टिशू पेपर्स लगाए थे।
ऐसा करने की वजह!
वह ख़ुद बताते हैं ” उस शाम मेरा पेट खराब थाऔर मुझे डिहाइड्रेशन भी महसूस हो रही थी।पिछले मैच के क्रैम्पसे रिकवरी न होने के कारण मैंने बहुत सारी इसोटोनिक ड्रिंक्स पी लिए थे।”
सचिन तेंदुलकरने अपनी एनर्जी ड्रिंक में नमक मिला दिया था जिसके कारण उन्हें लूज़
मोशंस चालु हो गए थे।उनका प्लान उन पर कुछ उल्टा पड़ गया था।
“गॉड ऑफ़ क्रिकेट” का कारण
सचिन तेंदुलकर कि महानता उनके बल्लेबाज़ी तक ही सीमित नहीं है।यह उनका क्रिकेट के प्रति एक जज़्बा और जुनून है।उनका यही जोश उन्हें एक असाधारण क्रिकेट प्लेयर बनाता है। “गॉड ऑफ़ क्रिकेट” का ख़िताब उनके लिए हर तरह से उचित है।सचिन ने वैसे हालातों में भी जमकर खेला।भारत वो मैच 183 रन से जीती थी और सचिन उस टूर्नामेंट के हाईएस्ट रन स्कोरर थे, और “प्लेयर ऑफ़ दटूर्नामेंट” भी घोषित हुए थे.
उस घटना को याद करते हुए तेंदुलकर ने कहा “मैंने किसी तरह 97 रन्स बना लिए थे पर क्रैम्प्स के कारण मेराअनुभव बहुतअच्छा नहीं था।मैं खुद को धैर्य कि सीमाओं से भी आगे ढ़केल रहा था।मुझे इस बात कि बेहद ख़ुशी है कि मेरा प्रयास व्यर्थ नहीं गया।”
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने 16 नवंबर 2013 को क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लिया था।उनका आखिरी मैच।, 200th टेस्ट मैच, वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ था जोकि वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया था।उन्होंने अपने करियर कि शुरुवात 16 साल कि उम्र से ही शुरू कर दिया था।सचिन तेंदुलकर आज के नौजवानों के लिए एक प्रेरणा हैं।