भारत का इतिहास बहुत ही रोचक है। इतिहास में ऐसी बहुत सी घटनाएं हुई हैं जो हमें आश्चर्य चकित करदेंगी।और ऐसी और भी अनकही बातें हैं जो ज़्यादातर लोगों को मालुमही नहीं है।इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आइये, कुछ ऐसी ही रोचक बातें जानते हैं।
1. पंडित जवाहर लाल नेहरू आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, पर क्या आप लोगों को मालूम है की दरअसल में सरदार वल्लभाई पटेलने चुनाव जीता था? लेकिन नेहरू को दूसरा स्थान नहीं चाहिए था ,और नेहरू बापू के बहुतही प्रिय थे। इसलिए, महात्मा गाँधी के विनती करने से सरदार वल्लभाई पटेलने अपना स्थान पंडित जवाहरलाल नेहरू को दे दिया था।
2. भारत के पहले प्रधानमंत्री अपनी नेहरू जैकेट के कारण बहुत मशहूर हुए थे और अंतर्राष्ट्रीय मैगज़ीन, वोग के फ्रंट कवर पर फीचर हुए थे।
3. 14 सितमबर 1949 में हिंदी भाषा को भारत की राजकीय भाषा घोषित करा गया था। आज़ादी मिलने के दो साल बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था और इसके बाद से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाने लगा।
वर्ष 1918 में महात्मा गांधी ने इसे जनमानस की भाषा कहा था और देश की राष्ट्रभाषा भी बनाने को कहा था। लेकिन आज़ादी के बाद ऐसा कुछ नहीं हो सका। सत्ता जाति-भाषा के नाम पर राजनीति करने वालों ने कभी हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने नहीं दिया।
4. भारत का पहला राजकीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को फेहराया गया था। वक़्त के साथ-साथ भारत के राजकीय ध्वज भी बदले गए थे।आज जिस तिरंगे को हम अपने देश की पहचान मानते हैं वो जुलाई 22, 1947 को पहली बार फेहराया गयाथा।और यह भारत का छठा राजकीय ध्वज है।
5. भारत के स्वतंत्रता सेनानी भगतसिंह भाषा विद थे। वह फ्रेंच, स्वीडिश, अंग्रेज़ी, अरबी, हिंदी, पंजाबी भाषाओं में सहज थे। सिर्फ यही नहीं , उन्हें किताबें पढ़ने का बहुत शौक भी था।
6. आप शायद यह बात सुन कर चौंक जाएँ, हमारा राष्ट्रीय गान असल में किंग जॉर्ज 5 के आगमन में गाया गया था। दरअसल टैगोर का यह गीत तब लिखा गया था जब भारत ब्रिटिश के शासन में बंधा था। 1911 में जब ब्रिटेन के राजा जॉर्ज V भारत आए तो 26 दिसंबर 1911 को कलकत्ता में हुए कांग्रेस के सेशन में उनके लिए स्वागत समारोह के दौरान टैगोर द्वारा लिखित ‘जन-गण-मन’ को गाया गया था। यही इस विवाद का कारण है। इसे बदलने की मांग करने वाले कहते रहे कि राष्ट्रगान की शुरुआत में ही प्रयोग किए गए शब्दों-“जन-गण-मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता” में ‘अधिनायक’ और ‘भारत भाग्य विधाता’ का प्रयोग ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की तारीफ करने के लिए प्रयोग किया गया था और इसे आज़ाद भारत के राष्ट्रगान के तौर पर अपनाया जाना गलत है और इसलिए इसमें बदलाव किए जाने की ज़रुरत है।