सिल्क वर्म एक ऐसा जीव है जिससे रेशम यानी सिल्क बनता है। सिल्क की शुरुवात चीन से हुई। सिल्क की चीन में बहुत वक़्त से ही खेती की जा रही है। चीन से ही सिल्क का फैशन आया।
ऐसा कहा जाता है की सिल्क येलो एम्परर, लीज़ू ने इंवेंट किया था। लीज़ू की चाय के कप में एक ककून गिरा। जिसके बाद लीज़ू ने ध्यान दिया की ककून में से एक अलग चमकदार धागा निकल रहा था। वह धागा मज़बूत और कोमल भी था। दिखने में भी खूबसूरत था।
वहीं से चीन में रेशम के धागे की खोज हुई।
आज हम सिल्क के बारे में बात करेंगे
रेशम का कपड़ा बहुत ही महंगा होता, कारण? यह एक बहुत पुराना फैशन डिज़ाइन है जो हज़ारों साल पहले चीन में पाया गया था।
सिल्क कैसे बना, इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है।
रेशम की साड़ियाँ तो सबने ही देखी हैं पर बहुत काम लोग जानते हैं की सिल्क कैसे बनता है। महीनों की मेहनत के बाद इन ख़ूबसूरत धागों से बनता है रेशम का कपड़ा
इन राज्यों में होता है सिल्क का प्रोडक्शन
भारत में मलबरी सिल्क का प्रोडक्शन मुख्य रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर और पश्चिम बंगाल में होता है। नॉन-मलबरी स्लीक का प्रोडक्शन झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश में होता है।
रेशम कैसे बनता है?
सिल्क वर्म की उम्र केवल 2 से 3 दिन की होती है और इसी दौरान फीमेल सिल्क वर्म 300 से 400 अंडे देती है।
तक़रीबन 10 दिन के अंदर हर अंडा एक वर्म को जन्म देता है जिसे लार्वे कहा जाता है।
इसके बाद तीन से आठ तक सिल्क वर्म अपने मूँह से एक तरल प्रोटीन का सेक्रीशन करता है। जो हवा के कांटेक्ट में आते ही सॉलिड हो कर धागे का रूप ले लेता है। इस प्रोटीन सेक्रीशन की वजह से वर्म के आस पास एक गोला बन जाता है जिसे हम ककून कहते हैं। इसी ककून में सिल्क वर्म रहता है।
सिल्क बनाने के लिए ककून को गर्म पानी में दाल दिया जाता है। गर्म पानी में डालते ही सिल्क वर्म मर जाता है और ककून का प्रयोग सिल्क यानी रेशम बनाने के लिए किया जाता है। एक ककून से 500 से 1300 मीटर लंबा सिल्क का धागा बन सकता है।
सिल्क के बारे में रोचक तथ्य
– भारत में पाँचों तरह के सिल्क का प्रोडक्शन होता है। (मलबरी, ट्रॉपिकल टसर, ओक टसर, इरी और मूंगा)
-भारत इकलौता ऐसा देश है जिसमें पांचो तरह के सिल्क का प्रोडक्शन होता है।
– ऐसा माना जाता है की तक़रीबन 30 सेंचुरीज़ से भी ज़्यादा वक़्त के लिए चीन ने सिल्क प्रोडक्शन को एक रहस्य ही रखा था।
आज चीन और जापान के साथ साथ भारत, इटली, स्पेन, फ्रांस में भी सिल्क प्रोडक्शन शुरू हो चुका है।