जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के जन्म का हुआ था। इस दिन बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ कान्हा का जन्मदिवस मनाया जाता है।
श्री कृष्ण, भगवान विष्णु के आँठवे अवतार हैं। हिन्दू मान्यताओं के हिसाब से श्री कृष्ण का जन्म भादो महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
भारत के अलग अलग हिस्से में इस त्यौहार का जश्न देखा जा सकता है। और सबसे उत्सव तो आपको वृन्दावन में दिखेगा। इस दिन लोग श्री कृष्ण के नाम पर व्रत रखते हैं और मंदिरों में झाँकियाँ भी निकलती हैं।
त्यौहार का सबसे रोचक हिस्सा
इस त्यौहार में सबसे रोचक चीज़ दही हांडी खेल है। यह खेल महाराष्ट्र में जम कर मनाया जाता है। गली का रस्ते पर आपको दही हांडी का खेल होते हुए दिखेगा। और जो जीतेगा उसको इनाम मिलेगा। मोहल्ले-मोहल्ले के लोग इस खेल में भाग लेते हैं।
पहले इस खेल में सिर्फ लड़के ही भाग ले सकते थे , पर आज लड़कियों का ग्रुप भी इस खेल में भाग लेता है।
दही हांडी का खेल
दही-हांडी खेल में लड़कों का एक ग्रुप पिरामिड बनाता है,जिसमें ऊपर लटकी सही से भरी हांडी को फोड़ा जाता है। गोविंदा बनकर इस खेल में भाग लिया जाता है।
इस दौरान बहुत गाना -बजाना होता है। ऊपर चढ़े लड़कों पर आस-पास के लोग पानी फेंकते हैं, जिससे दही-हांडी तक पहुंचना आसान नहीं होता। जो लड़का हांडी फोड़ता है वह ही खेल को जीतता है।यह त्यौहार सिर्फ हिन्दू ही नहीं, बल्कि मुसलमान भी मनाते हैं। मुसलमान भी इस खेल में ख़ुशी ख़ुशी हिस्सा लेते हैं।
श्री कृष्ण को दही बहुत पसंद थी। गोपियाँ श्री कृष्ण से अपना दही मक्खन बचाने के लिए मटकियों को ऊंचाई पर बाँध कर रखती थीं। श्री कृष्ण दही हांडी तक पहुँचने के लिए अपने दोस्तों का सहारा लेते थे। इसी से दही हांडी की परंपरा की शुरुवात हुई।
पहले सही हांडी सिर्फ एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता था पर अब उसे एक स्पोर्ट का दर्जा दिया गया है। सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि बाहर से आये लोगों को भी इस खेल में बहुत दिलचस्पी है। सिर्फ इस खेल में भाग लेने के लिए “कास्टलर्स” नाम का स्पैनिश ग्रुप इस खेल का हिस्सा बना था। “कास्टलर्स” ग्रुप का अपना खुद का वर्ल्ड रिकॉर्ड है सबसे ऊंचा ह्यूमन पिरामिड बनाने का।
इस खेल से भारतियों को बहुत लगाव है। और यह त्यौहार हर साल बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है।