भारत तरक्की की ओर बढ़ रहा है। पर इन सब चीज़ों के बीच में सबसे अहम बात यह है की भारत में वेस्ट मैनेजमेंट और शिक्षा को लेकर बहुत विकास नहीं हो पाया है अब तक। जहाँ हम इसका उपाय ढूंढ रहे हैं, एक ऐसा स्कूल भी है जिसने इन दोनों मुश्किलों का हल सोच लिया है।
बड़े ही दिलचस्पी की बात है, गया का ‘पदमपनी स्कूल’ कचरे के बदले आपको पढाई करने का अवसर देता है। मतलब, स्कूल की फीस ही कचरा है? यहाँ बच्चों को घर से स्कूल के रास्ते से कचरा उठाने के लिए परतोत्साहित किया जाता है। इस अनोखे कारण से यह स्कूल सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
दीपक कुमार, स्कूल के वाईस प्रेजिडेंट बताते हैं की यह स्कूल की स्थापना 2014 में हुई थी और आज यहाँ पर तक़रीबन 250 विद्यार्थी पढ़ते हैं। यहाँ बच्चों को मुफ़्त में शिक्षा, किताबें, यूनिफॉर्म, मिड-डे मील मिलता है। स्कूल फीस के बजाय इनसे कचरा उठवाता है!
यहाँ पर इकट्ठे हुए सारे कचरों को रीसाइक्लिंग के लिए भेजा जाता है। दीपक कुमार मानते हैं की बच्चों को वातावरण के बारे में समझाना बहुत ही ज़रूरी है। अपने स्कूल के विद्यार्थियों की मदद से स्कूल में 200 से ऊपर पेड़ों की देखभाल कर रहे हैं दीपक कुमार।
स्कूल के फाउंडर, मनोज समदर्शी बताते हैं की यह स्कूल डोनेशन से चल रहा है। स्कूल के ज़्यादातर बच्चे ग़रीब घरों से हैं। स्कूल में और भी ऐक्टिविटीज़ होती हैं जैसे की खेल, सामाजिक-सांस्कृतिक शिक्षा आदि।
स्कूल का लक्ष्य है की वर्ल्ड हेरिटेज का मंदिर, महाबोधि साफ़ सुथरा रहे।
वातावरण को बचाने की ओर यह एक बहुत अच्छा कदम उठाया गया है। आप वातावरण के हित में क्या कर सकते हैं?