हम शिक्षक दिवस क्यों मनाते हैं?
पहले वाईस प्रेजिडेंट और दुसरे प्रेजिडेंट डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन 5 सितम्बर होता है। उनके याद में हर साल 5 सितम्बर को टीचर्स डे मनाया जाता है। उनके कुछ मित्रों और स्टूडेंट्स ने एक बार उनसे कहा की वह उनका जन्मदिन मनाना चाहते हैं। तब उन्होंने कहा “मेरा जन्मदिन अलग से मनाने के बजाए अगर मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व महसूस होगा।”
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था। साल 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
ये वो महान शिक्षक हैं, जो भारत ही नहीं दुनिया के लिए हैं मिसाल!
आइए जानते हैं कुछ ऐसे शिक्षकों के बारे में।
1) आनंद कुमार:
आनंद कुमार सुपर 30 के फाउंडर हैं! यह ” Super 30 “ के नाम से एक इंस्टीट्यूट चलाते हैं जिसमे गरीब स्टूडेंट्स को IIT की मुफ्त में कोचिंग क्लास दी जाती है !
आनंद कुमार एक मैथमटीशियन होने के साथ – साथ एक अच्छे शिक्षक भी हैं! इनका एक ही मुख्य उद्देश्य है कि ग़रीब स्टूडेंट्स को IIT JEE में एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करवाना और में प्रवेश दिलाना! बहुत से स्टूडेंट्स होनहार होने के बाद भी IIT में दाखिला नहीं ले पाते क्यूंकि उनके पास कोचिंग के पैसे नहीं होते। आनंद कुमार ने बचपन में ग़रीबी देखी है और वह इसका दुःख समझते हैं।
ह्रितिक रोशन ने हालही में “सुपर 30 ” नाम की मूवी रिलीज़ करी थी जो आनंद कुमार की ज़िन्दगी से प्रेरित है ।
2) बाबर अली :
स्कूल जाते समय ख़ुद के उम्र के बच्चों को कूड़ा-करकट उठाते देख नौ साल का बाबर अली के मन में उनके लिए कुछ करने की लेहेर उठी।
बाबर इस बात से दुखी था कि वह छोटे बच्चे स्कूल जाने कि उम्र में कचरा बिन रहे थे। और ग़रीबी के कारण स्कूल न जाने कि मजबूरी बाबर को और भी ज़्यादा दुखी कर रही थी। यह देख कर बाबर ने निर्णय लिया कि वह इन छोटे बच्चों को पढ़ाने कि ज़िम्मेदारी
उठाएगा करीब 80 लाख आबादी वाले मुर्शिदाबाद जिले में मजदूरी करने वाले बच्चों की आबादी भी काफी ज़्यादा है, जो खेतों में काम करते हैं या बीड़ी बनाते हैं। कोलकाता से 200 किलोमीटर दूर मुर्शिदाबाद जिले में एक सरकारी स्कूल के पांचवी कक्षा के स्टूडेंट, बाबर अली ने अपने घर के पीछे के आंगन में गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।बाबर अली दुनिया के सबसे यंग स्कूल के प्रिंसपल माने जाते हैं।
3) आदित्य कुमार, “साइकिल गुरु”:
ग़रीब बच्चों को पढ़ाने कि ज़िम्मेदारी पूरी तरह से उन्होंनेअपने कन्धों पर ले ली थी।इस सफर में उन्होंने साइकिल को अपना हमसफ़र बनाया।
शहर और गाँव की गलियों में घूम घूम कर उन्होंने पढाई लिखाई के प्रति जागरूकता फैलाई। उन्होंने इस यात्रा की शुरुवात लखनऊ से करी थी। लोग उन्हें ‘साइकिल सर’ के नाम से बुलाते हैं। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल है।
4) राजेश कुमार शर्मा:
पेड़ के नीचे महज़ दो बच्चों के साथ राजेश कुमार शर्मा ने अपने यह छोटा से स्कूल से शुरुवात की थी। झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चे, ग़रीब बच्चों की पढाई की ज़िम्मेदारी अब उन्होंने अपनी मान ली थी। ‘फ्री स्कूल अंडर द ब्रिज’ के नाम का यह स्कूल राजेश कुमार शर्मा द्वारा चलाया जाता है। यहाँ इनके अलावा और भी शिक्षक हैं, और गौर करने वाली बात यह है की इनके किसी भी टीचर्स के पास किसी भी तरह की कोई डिग्री नहीं है।
भारत एक महान देश है और भारत की महानता ऐसे लोगों ही कारण है।