चक्रवाती तूफान फानी ने भारी बारिश और 175 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की हवाओं के साथ शुक्रवार सुबह ओडिशा तट पर दस्तक दी. तूफान के कारण काफी पेड़ उखड़ गए और झोपड़ियां तबाह हो गईं. साथ ही पुरी के कई इलाके जलमग्न हो गए. फानी साल 1999 के बाद का सबसे ख़तरनाक तूफ़ान कहा जा रहा है और इससे बचने के लिए पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं.
“सांप के फ़न” से निकला यह नाम (फानी) बांग्लादेश ने इस तूफ़ान को दिया. तूफ़ान को यूँ आम नाम देने का फ़ैसला, अधिकारीयों को तकनीकी नाम इस्तेमाल कर लोगों को चेतावनी देने की मुश्किल के चलते लिया गया. रिपोर्ट्स के अनुसार वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट के पास किसी तूफ़ान का नाम सिलेक्ट करने का अलग प्रोसीजर है.
इस प्रोसीजर के अनुसार इंडिया, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, मालदीव्स, ओमान, पाकिस्तान और थाईलैंड नॉर्थ इंडियन ओशियन में उठ रहे तूफ़ानों के नाम कमिटी को भेजते हैं. आने वाले तूफ़ानों के लिए हर देश ने 8 नाम प्रस्तुत करें हैं, “फानी” नाम इन्हीं 64 नामों की लिस्ट से किया गया. पिछले साल 2018 में आंध्र प्रदेश और ओडिशा में आया तूफ़ान “तितली” का नाम पाकिस्तान ने दिया था. इंडिया ने “अग्नि”, “आकाश”, “बिजली”, “जल”, “लहर”, “मेघ”, “सागर”, “वायु” जैसे नाम तूफ़ानों को दिए हैं.
तूफ़ानों को हर देश के द्वारा दिए गए नामों की लिस्ट:
अब तक हर देश ने आने वाले तूफ़ानों के लिए 8 नाम दे दिए हैं. “फानी” का चुनाव इन्हीं 64 नामों की लिस्ट से किया गया.
तूफ़ान को नाम देने का क्राइटेरिया:
तूफ़ानों को नाम लोगों तक उसकी जानकारी आसानी से पहुँचाने के लिए दिया जाता है. कोई भी देश नाम का सुझाव देने से पहले इस बात को ध्यान में रखती हैं की वो शब्द वहां के लोगों को आसानी से समझ में आता हो.
तूफ़ान को नाम देने की वजह:
1) वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट के अनुसार “किसी तूफ़ान को यूँ नाम देने से लोगों के लिए इसे समझने और याद रखना आसान हो जाता है. लोगों को उस तूफ़ान से जुड़ी चेतावनी देना, इससे जुड़ी न्यूज़ पहुँचाने में भी आसानी होती है.”
2) अधिकारीयों के लिए भी नाम से तूफ़ान को पहचानना आसान होता है. उसे ट्रैक करना उसके बारे में स्टडी करने में आसानी रहती है. किसी तकनीकी नाम से साधारण नाम ज़्यादा याद रहते हैं.
3) नाम देने से इससे जुड़ी चेतावनी आसानी से दी जा सकती है.