एस्ट्रोलॉजी, कुंडली, भाग्य- इनपर आज की आधुनिक आबादी के लिए विश्वास कर पाना मुश्किल है. बुद्धिजीवियों का तो ये भी मानना है कि एस्ट्रोलॉजी सिर्फ एक विश्वास है, एक उम्मीद है. यह साइंस की तरह किसी भी तरह के फैक्ट्स नहीं देती. तो क्या वाकई एस्ट्रोलॉजी सिर्फ़ एक उम्मीद है और सितारों की चाल का हमारी ज़िन्दगी से कोई लेना-देना नहीं? क्या वाकई एस्ट्रोलॉजी अंधविश्वास है?
एस्ट्रोलॉजी: कुछ यूँ आए Zodiac signs!
एस्ट्रोलॉजी की शुरुआत आज से 2000 साल पहले बेबीलोनिया नामक स्टेट से हुई थी. बेबीलोनिया के लोग सूरज, चाँद और अन्य प्लैनेट्स की स्टडी कर प्राकृतिक मौसम का अनुमान लगाते थे. इन्हीं लोगों ने 4th सेंचुरी में ग्रीस के लोगों को इस बारे में जानकारी दी. “zodiac” शब्द का जन्म ग्रीक शब्द “zodia” से हुआ और इसका अर्थ “जानवरों का सर्किल” होता है. इसके बाद एस्ट्रोलॉजी को रोम के लोगों ने भी अपना लिया. “zodiac signs ” के नाम रोम के लोगों ने ही दिए.
एस्ट्रोलॉजी के पीछे की साइंस धीरे धीरे और डेवलप होती रही. जल्द ही पाया गया कि सूर्य को अपनी ओरिजिनल पोजीशन तक पहुँचने में 12 ल्यूनर साइकिल लगती हैं. इन 12 ल्यूनर साइकिल को बढ़ने के लिए 12 नक्षत्र (constellations) की ज़रुरत पड़ती है.
प्रेडिक्शन: लॉजिक या सिर्फ़ एक विश्वास
एस्ट्रोलॉजी के ज़रिये आपकी पर्सनालिटी, आपके स्वभाव और आपके साथ होने वाली घटनाओं का भी अनुमान लगाया जा सकता है. तो क्या ये प्रेडिक्शन हमेशा सही होते हैं?
दरअसल, एस्ट्रोलॉजी में सबसे पहले प्रेडिक्शन करने वाला आपकी बर्थ डिटेल्स मांगता है. आपका जन्म स्थान और टाइम जानने के बाद आपके जन्म के समय प्लैनेट्स की स्थिति को विचारा जाता है. इस काम को करने के लिए कई कैलकुलेशन करने होते हैं और फिर आपकी पर्सनालिटी का और होने वाली घटनाओं का प्रेडिक्शन करते हैं. इन कैलकुलेशन में अगर ज़रा भी गड़बड़ी हुई तो सारे प्रेडिक्शन गलत हो सकते हैं. इसके ज़रिये आप किसी का भविष्य भी बता सकते हैं. हिन्दू धर्म में इसे कुंडली का नाम दिया जाता है.
क्या नकारने से बदल जाएगा एस्ट्रोलॉजी का अस्तित्व!
एस्ट्रोलॉजी पर विश्वास रखने वालों का एक लॉजिक ये भी है कि इस प्रथ्वी में लगभग 70% पानी है. फुल मून पर समुद्रों में टाइडल वेव्स उठती हैं. जिससे ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि चाँद की दिशा और दशा का असर पानी पर पड़ता है. एक दूसरा फैक्ट ये भी कहता है कि एक मानव शरीर में अधिकतम मात्रा में पानी मौजूद है. अगर समुद्र के पानी पर चाँद की दशा का इतना असर पड़ता है तो हमारे शरीर और मन पर क्यूँ नहीं?
सूर्य हमें विटामिन D देता है और इसकी मौजूदगी पर हमारे विश्वास करने या ना करने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता. सूरज है और वो अपना काम करेगा भले ही हम उसे नकार दें. इसी प्रकार इस ब्रह्माण्ड में मौजूद अन्य प्लैनेट्स के बारे में भी कहा जा सकता है.
मनुष्य इस ब्रह्माण्ड का एक हिस्सा है, एस्ट्रोलॉजी इस ब्रह्माण्ड के प्लैनेट्स की सही स्टडी के बाद करे प्रेडिक्शन का नाम है. हमारी पर्सनालिटी और स्वभाव पर ब्रह्माण्ड में मौजूद प्लैनेट्स का असर पड़ता है. अब अगर सही प्रेडिक्शन करें जायें तो लगाए गए अनुमान सही सिद्ध होते हैं. एस्ट्रोलॉजी पर विश्वास करना या ना करना ये आपके ऊपर है पर इसका हमारी ज़िन्दगी में प्रभाव ज़रूर पड़ता है.