इस ब्रह्माण्ड में ऐसा बहुत कुछ है जो हमारी आँखों से छुपा हुआ है. ऊर्जा, आत्मा, आशीर्वाद किसी को दिखते नहीं, तो क्या इनकी मौजूदगी को नकारा जा सकता है? इनकी वास्तविकता पर कई सवाल हैं, जिनके जवाब अब तक विज्ञान भी नहीं दे पाया. हालांकि, धर्म में आत्मा का विशेष महत्व है. तो क्या हमारा धर्म और विज्ञान दो अलग-अलग तथ्यों पर विश्वास रखते हैं? या सिर्फ एक अलग तरीका है चीज़ों को देखने का?
क्या आत्मा ही है डार्क मैटर या डार्क एनर्जी!
वैज्ञानिकों ने इस ब्रह्माण्ड को सतत बढ़ता हुआ पाकर आइंस्टीन की थ्योरी को गलत पाया. उन्होंने कहा कि ये ब्रह्माण्ड किसी ग्रेविटेशनल पुल से घटने की जगह लगातार बढ़ रहा है. जिसके कारण उन्हें आइंस्टीन के “कॉस्मोलोजिकल कॉस्टेंट” थ्योरी पर दुबारा सोचना पड़ा. इसके बाद ये कहा गया कि हमारे ब्रह्माण्ड में एक स्ट्रेंज फ्लूइड है. इस फ्लूइड को “डार्क मैटर या डार्क एनर्जी ” का नाम दिया गया.
वैज्ञानिकों का मानना है की इस ब्रह्माण्ड में लगभग 95% “डार्क” (27% डार्क मैटर और 68% डार्क एनर्जी ) मौजूद है. 1970 में “वेरा रुबिन ” द्वारा किए गए एक एक्सपेरिमेंट में डार्क एनर्जी का कॉन्सेप्ट सामने आया. इन्होंने पाया कि कई गैलेक्सीज़ अपनी नार्मल स्पीड से ज़्यादा तेज़ी से रोटेट कर रहीं थीं. तब रुबिन और अन्य वैज्ञानिकों ने ये बताया कि सितारों के आस-पास ऐसा बहुत कुछ है जो हमें टेलिस्कोप की मदद से भी नहीं दिख रहा. यही अद्रश्य शक्ति इन गैलेक्सीज़ की रोटेशनल स्पीड बढ़ा रहीं हैं.
इसी डार्क मैटर या एनर्जी को कई लोग भूत या आत्मा का नाम भी देते हैं.
धर्म और आत्मा!
हिन्दू धर्म में जब कोई मरता है तब उसके अंतिम संस्कार की प्रथा ऐसी बनाई गई है, जिससे आत्मा इस लोक को छोड़ दूसरे लोक की यात्रा करे. परन्तु, क्या आत्मा अपने शरीर को छोड़ इस लोक को छोड़ पाती है? एक शोध में पाया गया की जब कुछ साइंटिस्ट पैरास्कोप कब्रिस्तान में लेकर गए तब उसका मूवमेंट बढ़ गया.
हिन्दू धर्म में तृप्त और अतृप्त आत्माओं की एक अलग मान्यता है. आत्माएं जो अपनी पूरी ज़िन्दगी जीकर मरती हैं वह तृप्त होकर अपनी दूसरी ज़िन्दगी जीती हैं. परन्तु जो लोग सुसाइड करते हैं वो अतृप्त होने के कारण इसी लोक में आत्मा बन भटकते रहते हैं. आत्मा अगर भटकती है तो कहाँ रहती है?
मान्यताओं के अनुसार आत्मा ऐसी जगह रहती है जहाँ इंसानों की आवाजाही बेहद कम हो या सालों से जहाँ कोई ना गया हो. आत्मा हमेशा रोशनी से दूर, अँधेरी जगहों पर, पुराने घरों में रहती है. इसलिए अक्सर फिल्मों में भी आत्मा दिखाने के लिए पुराने घरों का इस्तेमाल किया जाता है. पूर्वजों के अनुसार आत्मा आपके साथ हर रोज़ मौजूद रहती है. यह अपनी मौजूदगी का एहसास भी आपको किसी ना किसी तरह कराती रहती है. अचानक से किसी तरह की महक आना, हाथ से खाना छूटना, रोंगटे खड़े होना ऐसे कई तरीके हैं जिससे आप, अपने करीब किसी आत्मा का अनुभव कर सकते हैं.
एनर्जी या आत्मा क्या है सच्चाई!
एनर्जी या शक्ति जो भी कहें वो दोनों ही तरह (पॉजिटिव और नेगेटिव) होती है. इनका एहसास भी आपको कभी ना कभी ज़रूर होगा. फिर ऐसा क्या है जो आपको इन सबसे बचा सकता है? वो है आपकी अपनी एनर्जी. अगर आप स्वयं में शक्तिशाली हैं और मानसिक रूप से स्ट्रांग हैं तो किसी भी तरह की एनर्जी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती. यही वजह है की बच्चों के प्रति उनके माता पिता को अधिक सतर्क रहने को कहा जाता है. बच्चों का दिमाग 5 साल तक पूरी तरह से विकसित नहीं माना जाता, ऐसे में किसी भी तरह की एनर्जी का प्रभाव उनपर जल्दी पड़ सकता है.
अब सवाल यह उठता है कि अगर आत्मा और डार्क मैटर या एनर्जी है तो वैज्ञानिक आत्माओं पर क्यों नहीं विश्वास करते. दरअसल, जब वैज्ञानिक डार्क मैटर या एनर्जी की बात करते हैं, तब उनके पास उसे सिद्ध करने के लिए डाटा है. गैलेक्सी हर बार अधिक तेज़ी से घूमती नज़र आती है. पर जब आप किसी आत्मा की बात करते हैं तो डाटा एक जैसा नहीं मिलता. हालांकि, इसका मतलब यह है कि आत्मा एक जगह टिक कर नहीं रहती पर वैज्ञानिकों के लिए उतना काफी नहीं.
आपके आस-पास ऐसे बहुत लोग होंगे जिन्होंने आत्मा की मौजूदगी का एहसास किया होगा. एनर्जी हम देख नहीं सकते बस महसूस कर सकते हैं. परन्तु, अपनी एनर्जी को पॉजिटिव रख हम नेगिटिव एनर्जी को अपने से दूर ज़रूर कर सकते हैं.