“उपवास” या “व्रत” हिन्दू धर्म में एक आम प्रथा है, इसे भगवान से जोड़ उन्हें प्रसन्न करने का एक तरीका बताया गया है. इस कारण कई लोगों ने इसका विरोध करते हुए तर्क दिया है कि भगवान आपके भूखे रहने से खुश क्यों होंगे. पर क्या वाकई व्रत उपवास करने से भगवान प्रसन्न होते हैं या इसके पीछे कोई और बड़ी वजह भी है?
हमारे पूर्वजों ने ये व्रत क्या सिर्फ भगवान को खुश करने के लिए बनाए हैं? दरअसल, मनुष्य पेड़, पौधे, पक्षी आदि की तरह प्रकृति का हिस्सा है. प्रकृति में होने वाले बदलावों का मनुष्य पर सीधा असर पड़ता हैं. आयुर्वेद का मानना है कि हमारी आधे से ज़्यादा बीमारियों का कारण हमारे पाचन तंत्र में जमा टॉक्सिंस हैं. उपवास करने से हमारा शरीर डी-टॉक्सिफाई हो जाता है.
ध्यान देने वालो बात यह भी है कि जितने भी त्यौहार जैसे नवरात्रि, रमजान आदि आते हैं, वह सभी मौसम बदलने से पहले आते हैं. जब मौसम बदलता है तब हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है. ऐसे में हम उपवास रखकर अपने शरीर को डी-टॉक्सिफाई कर, आने वाले मौसम के लिए तैय्यार करते हैं. व्रत-उपवास जहां धार्मिक माने जाते हैं, वहीं यह हमारे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी हैं. लोग इन्हें मानें इसलिए इन्हें धर्म से जोड़ दिया गया है.