‘देश की सेवा’ करना बड़ा धर्म है. इसीलिए हम आर्मी से जुड़े हर व्यक्ति का सम्मान करते हैं और उनकी सलामती के लिए दुआ मांगते हैं. क्या आपको पता है देश की सेवा सिर्फ सैनिक ही नहीं बल्कि डॉग्स भी करते हैं ,जिन्हे आर्मी डॉग्स कहा जाता है. सैनिकों की तरह ही आर्मी डॉग्स को ट्रेनिंग दिया जाता है.ये डॉग्स देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.मगर दुःख की बात ये है की रिटायर होने के बाद इस बेजुबान और वफ़ादार जानवर को जहर देकर मार दिया जाता है . चलिए, जानते है आखिर आर्मी ऐसा क्यों करती है.
ऐसा क्यों करती है आर्मी
सैनिकों की तरह ही इन डॉग्स के पास खूफिया जगहों के बारे में जानकारी होती है.उन्हें अन्य गुप्त जानकारी के साथ सेना के लोकेशन्स की पूरी जानकारी होती है. आर्मी को डर होता है कि यदि उन्हें बाहर छोड़ दिया तो कहीं डॉग्स का कोई गलत इस्तेमाल न करें.अगर ऐसा हुआ तो देश की सुरक्षा पर खतरा रहेगा जिसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है. इसके अलावा अगर कोई आर्मी डॉग बीमार पड़ गया और स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता तो भी उन्हें गोली मारकर मार दिया जाता है.
ऐसे बचाया जा सकता है आर्मी डॉग्स को
2015 में सरकार ने कानून बनायागया कि आर्मी डॉग्स को नहीं मारा जायेगा बल्कि उन्हें एडॉप्ट किया जा सकता है. 2017 में आर्मी ऑफिसर ने बताया कि इन डॉग्स को सिर्फ उसी स्थिति में मारा जाएगा जब मेडिकल तौर पर उसका इलाज असंभव हो.
मगर इन डॉग्स को किसी निजी हाथों में दिया तो वे उन्हें वैसी सुविधाएं नहीं दे सकते जो उन्हें आर्मी में मिलती है. आर्मी डॉग्स का महीने का खर्चा लगभग १५ -२० हजार का होता है.खतरनाक ऑपरेशंस में यूज किए इन डॉग्स को घर में बच्चों के साथ रखना भी खतरनाक साबित हो सकता है.
आर्मी डॉग्स को बचाने के लिए दूसरे देशों में ये करते है
- अमेरिका में रिटायर आर्मी डॉग्स को किसी खास एनजीओ को दिया जाता है
- जापान में रिटायर डॉग्स के लिए एक हॉस्पिटल होता है
- रूस और चीन में भी आर्मी डॉग्स को मारा नहीं जाता