एक बार फिर मोदी सरकार! लोकसभा इलेक्शन 2019 का रिजल्ट आ चूका है, और एक बार फिर BJP की जीत हो चुकी है. नतीजों को देखते हुए इस जीत को ऐतिहासिक जीत भी कहा जा सकता है. 2014 लोकसभा इलेक्शन के मुकाबले 2019 में हुई BJP की जीत को सबसे बड़ी जीत बताई जा रही है. जानें ऐसी 10 बातें जिनके नतीजों को देखते हुए भारत की जनता ने फिरसे मोदी सरकार को जिताया.
1.पिछले 5 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने काम से एक अलग पहचान बनाई. अपनी मजबूत प्रशासन और अलग अंदाज से मोदीने पूरी दुनिया को अपनी तरफ आकर्षित कर लिया. मेक-इन-इंडिया और स्वच्छ भारत जैसे अभियान से पीएम मोदी ने खुदको आम लोगों के बीच स्थापित किया. अपोजिशन पार्टी ने आर्थिक, रोजगार, कृषि, डिमॅनिटाइज़ेशन जैसे मसलों पर घेरने की कोशिश करी. पर बीजेपी ने राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास जैसे तीन अहम मुद्दों पर रणनीति तैयार कर ली और उसके बल पर अपनी जीत हासिल की.
2. BJP गुजरात, दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र जैसे राज्यो में लगभग सभी सीटों पर जीत चुकी है. वहीं मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी राज्यों में जहां कि कांग्रेस की सरकार है वहां भी BJP ने अपना झंडा गाढ़ दिया है.
3.बीजेपी राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाने में कामयाब रही ,और बाद में विकास की तरफ अपना लक्ष्य केंद्रित किया. वहीं कांग्रेस आम जनता के मुद्दे जैसे- रोजगार, कृषि क्षेत्र, आर्थिक विकास, रफाल को अपना टारगेट बनाता रहा.
4.कांग्रेस ने मोदी सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया लेकिन इसका जनता पर कोई असर नहीं पड़ा. मोदी सरकार ने लिए हुए सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अहम निर्णय से उनकी छवि और भी मजबूत हुई.
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5.कांग्रेस के लिए अमेठी हमेशा से अहम रहा है, जहां कांग्रेस की हमेशा जीत हुई है. लेकिन इसबार अमेठी में भी उलटफेर हुई.
6. प्रियंका गांधी को महासचिव बनाना ये कांग्रेस का ब्रम्हास्त्र था. जिसका उपयोग कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के लिए किया. प्रियंका को मैदान में उतारकर पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया . वहीँ पूर्वी उत्तर प्रदेश ‘वाराणसी’ क्षेत्र से ही नरेंद्र मोदी मैदान में थे . गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ के चुनाव क्षेत्र में भोजपुरी फिल्म सुपरस्टार रवि किशन को बीजेपी की ओर से खड़ा किया.
7.मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ इन 3 राज्यो में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जीत लिया. उसीके बल पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव के लिए अधिकतर राज्यों में अपने दम पर लड़ने के लिए उतरी. राहुल गांधी ने यहाँ फ्रंट फुट पर खेलने की कोशिश करी पर ये रणनीति पूरी फ्लॉप हुई.
8.चुनाव के दौरान अमित शाह अपने पुराने मित्र पक्ष शिवसेना, नीतीश कुमार और अपना दल के साथ कई मीटिंग्स करके उनकी नाराजगी दूर करते रहे. इन सब के बाद वो इन पक्षों को अपने साथ रखने में कामयाब भी रहे. वहीं कांग्रेस अपोजिशन को एक मंच पर लाने में फेल हुई. तृणमूल की ममता बनर्जी,AAP के अरविंद केजरीवाल, जैसे के साथ कांग्रेस एकसाथ एक मंच पर नहीं आया. इसका परिणाम दिल्ली और पश्चिम बंगाल में साफ दिख रहा है.
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9.उतर प्रदेश में भी कांग्रेस ने पूरा प्रयास किया लेकिन मायावती को नहीं मना पाए. कांग्रेस को मायावती का साथ नहीं मिला पर इसका फायदा BJP को हुआ. राजनैतिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि कांग्रेस को सपोर्ट ना कर के मायावती ने बीजेपी के हाथ मजबूत किए.
10. इस चुनाव में वीवीपैट के इस्तेमाल और ईवीएम को लेकर काफी हंगामा हुआ . अपोजिशन ने मांग करी थी कि पहले वीवीपैट मत का मिलान हो तभी आगे की गिनती हो पर चुनाव आयोग इस बात से सहमत नहीं हुआ. जब मामला कोर्ट में गया तो कोर्ट ने भी अपोजिशन की मांग नहीं मानी .