यदि बौद्ध धर्म की बात करें, तो मॉन्क्स का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। पूजा-पाठ का काम उन्ही के हाथों में होता है। और वहीँ दूसरी तरफ नन्स को छोटे-मोटे काम दिए जाते हैं जैसे की साफ़ सफाई, खाने-पीने का ध्यान रखना। लेकिन, ड्रुपका की लीडर, हिज़ होलीनेस द ग्यालवांग ड्रुक्पा, ने पूरा नज़रिया ही बदल दिया!
द ड्रुक गवा खिलवा (DGK) आश्रम, जो की काठमांडू में स्थित है, अपने नन्स को मर्शिअल आर्ट्स और मैडिटेशन सिखाते हैं। यह सब उनके वोमेन एम्पावरमेंट का हिस्सा है। इस आश्रम में लगभग 500 से ऊपर नन्स हैं, जो 9 – 42 वर्ष की हैं। यह नन्स नेपाल, तिब्बत, इंडिया और भूटान की नागरिक हैं।
4,००० km का बिसाईकल ट्रेक
कुछ वर्षों पहले तक़रीबन 500 नन्स, हिज़ होलीनेस की लीडरशिप में, नेपाल से लेह तक का बिसाईकल ट्रेक पूरा किया गया था। इस ट्रेक का एक ही उद्देश्य था- “वोमेन एम्पावरमेंट”। इस बाइसिकल ट्रेक के दौरान, दूसरे मुद्दे, जैसे की, पर्यावरण और ह्यूमन ट्रैफिकिंग के विषय में भी जागरूकता फैलाई गई थी।
सशक्त और एक्टिव
नेपाल भूकंप के दौरान बहुत बड़ा योगदान
कुंग फू नन्स का नेपाल भूकंप के दौरान बहुत बड़ा योगदान था। भूकंप के बाद नेपाल में कोहराम मच गया था। और यह कुंग फू नन्स पीड़ितों के लिए खाना ले कर जाती थीं । 9,000 से ऊपर लोगों की जानें गईं। बहुत से बच्चे अनाथ हो गए। और कुछ लोगों ने अपनी बेटियों और बीवियों को बेचना शुरू कर दिया था क्यूंकि पैसे कमाने का कोई और ज़रिया नज़र नहीं आ रहा था। उन्होंने अपने बाइसिकल ट्रेक से औरतों के शोषण को ले कर जागरूकता फैलाई। कुंग फू नन्स का मानना है की लडकियां लड़कों से कम नहीं हैं। नेपाल का हाल देख कर उनको ये लगा की पीड़ितों के लिए सिर्फ खाना ले कर जाना ही पर्याप्त नहीं था। लोगों की सोच नन्स के लिए बहुत निराशाजनक थी। महिलाओं के प्रति बहुत ही कठोर मानसिकता थी जिसके कारण उनका लक्ष्य ऐसी महिलाओं की सहायता करना बन गया था ।
यह नन्स अपने क्षेत्र में बहुत ही सशक्त और एक्टिव हैं। वह सोशल सर्विस भी करती हैं। जैसे की जानवरों का इलाज, कैम्प्स चलाना, और साथ में क्षेत्र की बाकी महिलाओं को भी मर्शिअल आर्ट्स सिखाती हैं। जो एक बहुत बड़ा कदम है वुमन एम्पावरमेंट की ओर। अपनी मर्शिअल आर्ट्स की क्वालिटी के ही कारण उन्हें कुंग फू नन्स कहते हैं.