भारत में बैंड के बिना शादीब्याह और कोई भी बड़ा समारोह अधूरा है . सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी बैंड बिना समारोह बेजान होता है.क्या आप जानते है कि बैंड कब , कहाँ और किसने बनाया ? चलिए आज इस सवाल का जवाब जानते है. दिल्ली से ७० किलोमीटर दूर मेरठ कि एक धूलदार गली ,जली कोठी जगह पर १०० सालों से बैंड बजाने के इंस्ट्रूमेंट बनाये जा रहे है.
जली कोठी में ‘नादिर अली एंड कंपनी’ नाम का एक कारखाना है.१८८५ में नादिर अली नाम के व्यक्ति ने अपने भाई के साथ मिलकर बैंड इंस्ट्रूमेंट आयात करने का बिज़नेस चालू किया था.कुछ दिनों बाद उन्होंने भारत में ही इन इंस्ट्रूमेंट को बनाना शुरू कर दिया . बड़ी बात यह की नादिर अली सेना में बैंड मास्टर थे.
दूसरे विश्व् युद्ध के दौरान उन्होंने सबसे पहले पीतल कि सीटी और बिगुल अपने सुरक्षा रक्षकों के लिए बनाई. बाद में धीरे धीरे उन्होंने बैंड के कई तरह के इंस्ट्रूमेंट बनाने शुरू कर दिए.इस तरह से नादिर अली ने पूरे भारत में अपनी एक अलग पहचान बनाई.
आज भी नादिर अली एंड कंपनी में भारतीय और विदेशी सेना के लिए वाद्य बनाये जाते है. इसलिए यह कंपनी किसी बैंडवाले के लिए मंदिर के समान है .आपको जानकर हैरानी होगी कि पुरे भारत में होने वाली शादियों के ९० फीसदी बैंड इसी कंपनी में बनते है. इतना ही नहीं बल्कि बैंडवालों के लिए आकर्षक कपडे भी यहाँ बनाये जाते है.